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वर्ष:11,अंक:15,सोमवार,30नवंबर.2020.

गुरु नानक जयंती 30 नवंबर को है. इस बार गुरु नानक की 551वीं जयंती मनाई जा रही है. नानक देव जी की जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.

गुरु नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु थे. गुरु नानक देव जी ने ही श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की नींव रखी थी. गुरु नानक के अनुयायी उन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं.  गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व  मनाया जाता है. गुरु नानक देव जी का जन्म राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में है. आइये जानते हैं गुरु नानक के जीवन से जुड़ी 10 बातें...

गुरु नानक से जुड़ी 10 बातें

1.   गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है.

2.   गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था. नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था.

3.   गुरु नानक बचपन से सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे. तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे.

4.   गुरु नानक के बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे.

5.   गुरु नानक ने बचपन से ही रूढ़िवादिता के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत कर दी थी. वे धर्म प्रचारकों को उनकी खामियां बतलाने के लिए अनेक तीर्थस्थानों पर पहुंचे और लोगों से धर्मांधता से दूर रहने का आग्रह किया.

6.   गुरु नानक जी का विवाह सन 1487 में माता सुलखनी से हुआ. उनके दो पुत्र थे जिनका नाम श्रीचन्द और लक्ष्मीचन्द था.

7.   गुरु नानक कहते थे कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिए हैं. मूर्तिपूजा, बहुदेवोपासना को नानक जी अनावश्यक कहते थे. हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत का प्रभाव पड़ता था.

8.   नानकदेव जी को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है. एक बार गुरु नानक को उनके पिता ने व्यापार करने के लिए 20 रुपये दिए और कहा- इन 20 रुपये से सच्चा सौदा करके आओ. नानक देव जी सौदा करने निकले. रास्ते में उन्हें साधु-संतों की मंडली मिली. नानकदेव जी साधु-संतों को 20 रुपये का भोजन करवा कर वापस लौट आए. पिताजी ने पूछा- क्या सौदा करके आए? उन्होंने कहा- 'साधुओं को भोजन करवाया. यही तो सच्चा सौदा है.

9.   गुरु नानक जी का कहना था कि ईश्वर मनुष्य के हृदय में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं.

10. गुरु नानक जीवन के अंतिम चरण में करतारपुर बस गए. उन्होंने 25 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए.