danikjanchetna@gmail.com16112020
दैनिक जनचेतना
वर्ष:11,अंक:5,सोमवार,16नवंबर.2020.
आज का संदेश .
समाज, जिस में हम रहते हैं, गतिशील है और निरन्तर बदलता रहता है। इस का रस्मों-रिवाज, मान्यताएँ, संस्थाएँ सभी में परिवर्तन होता रहता है और इस परिवर्तन की दिशा सदैव नवीनता की ओर रहती है परन्तु यह परिवर्तन इतना सहज तथा धीमी गति से होता है कि इस का आभास तक नहीँ होता। समाज में धीमें परिवर्तन का कारण मूलत: इस की संस्कृति होती है। हमारी संस्क्रति हमारी आदतों, अभ्यस्तता से निर्मित हेती है और इन्हें परिवर्तित करना मुशकिल होता है और समय लेता है।सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होना आवश्यक है, परिवर्तन हेतु प्रयास भी करने चाहिएँ परन्तु तत्काल परिणाम अवाँछनीय हैं। आम का जो पेड़ हम आरोपित करेंगे, उस के फल हमारे पौत्र, पड़पौत्रों को नसीब होगा।
पंजाब का इतिहास-7 .
सामवेद की रचना ऋग्वेद में दिए गए मंत्रों को गाने योग्य बनाने हेतु की गयी थी।इसमे 1810 छंद हैं जिन में 75 को छोड़कर शेष सभी ऋग्वेद में उल्लेखित हैं। सामवेद तीन शाखाओं में विभक्त है- कौथुम, राणायनीय और जैमनीय।सामवेद को भारत की प्रथम संगीतात्मक पुस्तक होने का गौरव प्राप्त है।
अथर्ववेद इसमें प्राक्-ऐतिहासिक युग की मूलभूत मान्यताओं, परम्पराओं का चित्रण है। अथर्ववेद 20 अध्यायों में संगठित है। इसमें 731 सूक्त एवं 6000 के लगभग मंत्र हैं।इसमें रोग तथा उसके निवारण के साधन के रूप में जानकारी दी गयी है।अथर्ववेद की दो शाखाएं हैं- शौनक और पिप्लाद।इसे अनार्यों की कृति माना जाता है।
भारतीय़ इतिहास में आज.
16 नवंबर
मुख्य घटनाएँ:
1846: उर्दू के मशहूर शायर अकबर इलाहबादी का जन्म हुआ था.
1849: विश्व प्रसिद्ध रूसी लेखक फ़्योदोर दोस्तोविस्की को एक भूमिगत संगठन का सदस्य होने के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
1938: में अल्बर्ट होफमैन का आविष्कार लाइर्सेजिक एसिड डाइथलामाइड ड्रग आज ही के दिन वजूद में आया.
1945: अभी दूसरा विश्व युद्ध ख़त्म भी नहीं हुआ था, बात साल 1942 की है, जब कुछ यूरोपीय देशों की सरकारों ने ब्रिटेन में एक सम्मेलन आयोजित किया.
1973: बैटमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद का जन्म हुआ था.
साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के उपलब्धियों की चर्चा हरतरफ होती है, लेकिन उनकी सफलता के पीछे जिस शख्स का सबसे अहम योगदान है आज हम उसकी चर्चा करेंगे. अब आपके मन में ये सवाल उठेगा कि आखिर वह शख्स कौन है. जी हां हम बात कर रहे हैं अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, पद्मश्री, द्रोणाचार्य और पद्मभूषण से सम्मानित और भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद की. दरअसल, आज पुलेला गोपीचंद का 46वां जन्मदिन है.
बैडमिंटन के द्रोणाचार्य
कहलाते हैं गोपीचंद
गोपीचंद को भारतीय बैडमिंटन का द्रोणाचार्य कहा जाता है.
उन्होंने अपनी बैडमिंटन अकादमी में ऐसे खिलाड़ी तैयार किए जो आज तहलका मचा रहे
हैं. इसके अलावा देश
का नाम भी रौशन कर रहे हैं. कहा जाता है कि प्रकाश पादुकोण और सैयद मोदी की
भारतीय बैडमिंटन की परंपरा को गोपीचंद ने ही आगे बढ़ाने का काम किया है. पुलेला गोपीचंद का जन्म 16 नवंबर 1973 को आंध्र प्रदेश के नागन्दला में हुआ था. 13 साल की उम्र में मांसपेशियों में आई चोट भी उनके बैडमिंटन
के शिखर पर पहुंचने के जज्बे को कम नहीं कर पाई.
बैडमिंटन से कैसे हुआ
जुड़ाव
पुलेला गोपीचंद के परिवार में भी बैडमिंटन से लगाव था.
उनके भाई भी बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी थे. गोपीचंद के भाई एक जमाने
में स्टेट चैंपियन भी रह चुके हैं. उनका कहना है कि वे पढ़ाई
में अच्छे नहीं थे, जबकि उनके भाई पढ़ाई में काफी अच्छे थे. भाई ने IIT में एडमिशन ले
लिया और बैडमिंटन का साथ छोड़ दिया, लेकिन मैं
लगातार बैडमिंटन खेलता रहा और आज यहां पर हूं.
गंभीर चोट की वजह से कोर्ट
छोड़ना पड़ा था
पुलेला गोपीचंद जब 21 साल के थे तो
कोर्ट पर एक जबर्दस्त टक्कर की वजह से बैडमिंटन को अलविदा कहना पड़ गया था. उस समय तो ऐसा लग रहा था कि अब उनका कैरियर हमेशा के लिए
खत्म हो गया है, लेकिन उन्होंने दमदार वापसी करते हुए 23 साल की उम्र में नेशनल चैंपियनशिप जीतकर
मिसाल कायम कर दी. 2001 में प्रकाश पादुकोण के बाद
गोपीचंद का नाम ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट जीतने वाले दूसरे भारतीय के तौर पर दर्ज है. उस टूर्नामेंट में गोपीचंद ने सेमीफाइनल में दुनिया के नंबर
एक खिलाड़ी पीटर गेड और फाइनल में चीन के चेंग हॉन्ग को करारी शिकस्त दी थी.गोपीचंद ने अपने
बैडमिंटन कैरियर में 5 अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते हैं.
गोपीचंद की अकादमी के खिलाड़ी लगातार विश्वपटल पर अपना लोहा मनवा रहे हैं. अबतकअकादमी को 2 ओलंपिक मेडल हासिल हो चुके हैं. बता दें कि 2012 में साइना नेहवाल ने लंदन ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल और 2016 में पीवी सिंधु ने रियो में सिल्वर मेडल हासिल किया था. अकादमी के प्रमुख खिलाड़ियों में साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत, पुरुपल्ली कश्यप, समीर वर्मा, एचएस प्रणॉय और साई प्रणीत आदि शामिल हैं. गौरतलब है कि श्रीकांत और साइना दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के तौर पर भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं..
गोपीचंद की उपलब्धियां
अर्जुन अवॉर्ड |
1999 |
राजीव गांधी खेल रत्न |
2001 |
पद्मश्री |
2005 |
द्रोणाचार्य |
2009 |
पद्मभूषण |
2014 |
परेरणा .
पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं...!!
एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे...!!?'
पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा..!!'
लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'
पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 मिनट के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'
महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 मिनट में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी..!!
उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी...!!
वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।'
पिकासो ने हँसते हुए कहा,'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।'
वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 मिनट में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 मिनट में न सही, 10 घंटे में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'
पिकासो ने हँसते हुए कहा, 'यह पेंटिंग, जो मैंने 10 मिनट में बनायी है ...
इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं ..!! तुम भी दो, सीख जाओगी..!!
वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी...!!
एक अध्यापक को 40 मिनट के लेक्चर की जो तनख्वाह दी जाती है,
वो इस कहानी को बयां करती है।
समाज समझता है कि बस बोलना ही तो होता है अध्यापक को मुफ्त की नौकरी है