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दैनिक जनचेतना
वर्ष:11,अंक:5,शुक्रवार,12नवंबर.2020.
आज का संदेश .
इच्छा हो, ना हो, जीवन जीने, इस की आवश्यताओं की पूर्ति हेतु समाज से तो जुड़ना ही होगा। जन्म के समय मनुष्य श्वास लेता मास का टुकड़ा मात्र ही होता है। यदि उस का परिवार, समाज की ही एक इकाई, उस का लालन पालन ना करे तो शायद वह जीवित भी ना बचे। पशुओं की भाँति यदि जीवित रह भी जाए, तो खाने, पीने, रहने हेतु तो उसे समाज की आवश्यकता रहेगी ही। यदि समाज में रहना ही है, तब क्यों ना ऐसे समाज का निर्माण किया जाए जो प्रत्येक का ध्यान रखे, दुख सुख में सहाय़ता करे और इच्छा से जीने में बाधा भी ना बने। परन्तु ऐसा तभी संभव है यदि हम सभी समाजिक बने, इस में दिलचस्पी लें, सम्बन्धित कार्यों में सक्रिय हों।
पंजाब का इतिहास-5 .
वेद सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थों हैं और वे सबसे पहले आते हैं। आम धारणा अनुसार वेद के ब्रह्मा जी की रचना हैं और विभिन्न ऋषियों ने से विभिन्न भागों को कड़ी तपस्या के पश्चात प्राप्त उन्हे प्राप्त किया। वेद आर्यों के प्राचीनत ग्रन्थ हैं जो चार हैं-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद।ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से सम्बंधित रचनाओं का संग्रह है।यह 10 मंडलों में विभक्त है। इस मे 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम माने जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गए हैं। इसमें 1028 सूक्त हैं।
इसकी भाषा पद्यात्मक है।
ऋग्वेद में 33 देवों (दिव्य गुणो से युक्त पदार्थो) का उल्लेख मिलता है।प्रसिद्ध गायत्री मंत्र जो सूर्य से सम्बंधित देवी गायत्री को संबोधित है, ऋग्वेद में सर्वप्रथम प्राप्त होता है।' असतो मा सद्गमय ' वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है। ऋग्वेद में मंत्र को कंठस्त करने में स्त्रियों के नाम भी मिलते हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोपामुद्रा, घोषा, शाची, पौलोमी एवं काक्षावृती आदिइसके पुरोहित क नाम होत्री है।
भारतीय़ इतिहास में आज.
13 नवंबर
मुख्य घटनाएँ:
- 1918 - ऑस्ट्रिया गणराज्य बना।
- 1950 - तिब्बत ने चीनी आक्रमण के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में अपील की।
- 1968 - पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को गिरफ्तार किया गया।
- 1971 - अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा द्वारा भेजा गया यान मरीनर 9 मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचा।
- अमेरिकी विमान मैरिनर-9 ने मंगल ग्रह का चक्कर लगाया।
- 1975 विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एशिया के चेचक मुक्त होने की घोषणा की।
- 1985 - पूर्वी कोलंबिया में ज्वालामुखी फटने के कारण करीब 23,000 लोग मारे गए थे।
- 1997 - सुरक्षा परिषद ने इराक पर यात्रा प्रतिबंध लगाया।
- 1998 - चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा और अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मुलाकात की।
- 2004 - अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के लिए चार साल का समय निर्धारित किया।
- 2005 - आतंकवाद के सफाये और दक्षिण कोरिया को विकसित आर्थिक विश्व के मानचित्र में शामिल करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के भारत के आह्वान पर सहमति के साथ दक्षेस का 13वाँ शिखर सम्मेलन सम्पन्न। दक्षेस का 14वाँ शिखर सम्मेलन भारत में करने का निर्णय।
- 2007 - कॉमनवेल्थ ने देश में आपात काल हटाने के लिए पाकिस्तान को 10 दिनों का समय दिया। आस्ट्रेलिया में आयोजित एशिया पैसिफ़िक स्क्रीन अवार्ड में भारतीय फ़िल्म 'गांधी माई फ़ादर' को सर्वश्रेष्ठ पटकथा का पुरस्कार मिला।
- 2008- 'असम गण परिषद' राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुई।
- 2009 - झारखण्ड में नक्सलियों ने निवर्तमान विधायक रामचन्द्र सिंह सहित सात लोगो का अपरहण कर लिया है।
भाजपा ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की 25 में से 22 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ बुधवार को असम गण परिषद (अगप) समेत पांच क्षेत्रीय दलों व मोर्चो के साथ गठबंधन करने का एलान किया। यह करार भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के बीच हुआ है। नागरिकता बिल के विरोध में अगप जनवरी में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
पूर्वोत्तर के प्रभारी भाजपा महासचिव राम माधव ने इस गठबंधन के लिए मंगलवार आधी रात के बाद तक गुवाहाटी में क्षेत्रीय दलों के साथ बैठकें कीं, जिसमें सहमति बन गई। इसके बाद फेसबुक पोस्ट में राम माधव ने लिखा कि 'इस गठबंधन की 25 में से कम से कम 22 लोस सीटें जीतने की क्षमता है। यह फिर एक बार नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में अहम भूमिका
निभाएगा।'
बुधवार को राम माधव ने त्रिपुरा के सीएम विप्लव कुमार देव व आईपीएफटी के नेताओं के साथ अगरतला में बैठकें कीं। वह मंगलवार को नगालैंड के सीएम निफियो रिओ, असम के सीएम सर्वानंद सोनोवाल, मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा, मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू व नेडा के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा से मिले थे।
नेडा में ये दल हैं शामिल
असम गण परिषद, बोडोलैंड
पीपुल्स फ्रंट, इंडीजिनयस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा,
नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक
प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा।
अगप प्रमुख अतुल बोरा से चर्चा के बाद सहमति
असम गण परिषद पहले भी राजग या एनडीए की सहयोगी रह चुकी है। मंगलवार को अगप प्रमुख अतुल बोरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राम माधव से मुलाकात की और फिर पुराने सहयोगी एक हो गए। राम माधव ने बताया कि भाजपा, एनपीपी, एजीपी व बीपीएफ असम, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर व अरुणाचल में मिलकर चुनाव लड़ेंगे, जबकि त्रिपुरा में भाजपा आईपीएफटी के साथ चुनाव लड़ेगी। सिक्किम में भाजपा का गठबंधन मुख्य विपक्षी दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के साथ होगा।कांग्रेस को हराने के लिए फिर एकजुट हुए : बोरा
गठबंधन के बाद अगप अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा कि
कांग्रेस को परास्त करने के लिए पुराने सहयोगी फिर एक हुए हैं। अगप ने जनवरी में
नागरिकता विधेयक के विरोध में असम की भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
अगप, भाजपा
व बीपीएफ ने विस में कांग्रेस को हराया था
2016 के विस चुनाव में भी अगप, भाजपा व बीपीएफ
के बीच गठबंधन था और तीनों ने मिलकर 2001 से लगातार
सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था।
गठबंधन से प्रफुल्ल महंत खुश नहीं
अगप के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल महंत पार्टी द्वारा भाजपा से फिर
गठबंधन करने से खुश नहीं हैं। असम के पूर्व सीएम महंत ने कहा, 'मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मुझे मीडिया से ही जानकारी मिली। मैं इस
गठबंधन के खिलाफ हूं।'
समकालीन ..
भगत सिंह ने सांडर्स की हत्या की
साल 1928 था. इंडिया में अंग्रेजी हुकूमत थी. 30 अक्टूबर को साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा. लाला लाजपत राय की अगुवाई में इंडियंस ने विरोध प्रदर्शन किया. क्रूर सुप्रीटेंडेंट जेम्स ए स्कॉट ने लाठीचार्ज का आदेश दिया. लोगों पर खूब लाठियां चलाई गईं. लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए. 18 दिन बाद लाला लाजपत राय ने दुनिया में अपनी आखिरी सांस ली.
लाला लाजपय राय की मौत से क्रांतिकारियों में गुस्सा भर गया. तय हुई कि बदला लिया जाएगा. भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद समेत कई क्रांतिकारियों ने मिलकर जेम्स स्कॉट को मारकर लालाजी की मौत का बदला लेने का फैसला किया. 17 दिसंबर 1928 दिन तय हुआ स्कॉट की हत्या के लिए. लेकिन निशानदेही में थोड़ी सी चूक हो गई. स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स क्रांतिकारियों का निशाना बन गए.
सांडर्स की हत्या के बाद दोनों लाहौर से निकल लिए. अंग्रेजी हुकूमत सांडर्स की सरेआम हत्या से बौखला गई. भगत सिंह भगवती चरण वोहरा की वाइफ दुर्गावती देवी के साथ कपल की तरह और राजगुरु नौकर की वेशभूषा में लाहौर से निकल गए.
अंग्रेज सरकार दो नए बिल ला रही थी. पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल. कहा जाता है कि ये दो कानून इंडियंस के लिए बेहद खतरनाक थे. सरकार इन्हें पास करने का फैसला ले चुकी थी. बिल के आने से क्रांतिकारियों के दमन की तैयारी थी. ये अप्रैल 1929 का वक्त था. तय हुआ कि असेंबली में बम फेंका जाएगा. किसी की जान लेने के लिए नहीं, बस सरकार और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए. बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह इस काम के लिए चुने गए. 8 अप्रैल 1929 को जब दिल्ली की असेंबली में बिल पर बहस चल रही थी, तभी असेंबली के उस हिस्से में, जहां कोई नहीं बैठा हुआ था, वहां दोनों ने बम फेंककर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि भगत सिंह को फांसी असेंबली पर बम
फेंकने की वजह से हुई. पर ऐसा नहीं है. असेंबली में बम फेंकने के बाद बटुकेश्वर
दत्त और भगत सिंह के पकड़े जाने के बाद क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी का दौर शुरू
हुआ. राजगुरु को पुणे से अरेस्ट किया गया. सुखदेव भी अप्रैल महीने में ही लाहौर से
गिरफ्तार कर लिए गए. भगत सिंह को पूरी तरह फंसाने के लिए अंग्रजी सरकार ने पुराने
केस खंगालने शुरू कर दिए.
अक्टूबर 1926 में दशहरे के मौके पर लाहौर में
बम फटा. बम कांड में भगत सिंह को 26 मई 1927 को पहली बार गिरफ्तार किया गया. कुछ हफ्ते भगत सिंह को जेल में रखा गया.
केस चला. बाद में सबूत न मिलने पर भगत सिंह को उस दौर में 60 हजार रुपये की जमानत पर रिहा किया गया. भगत सिंह की बेड़ियों में
जकड़ी ये तस्वीर उसी वक्त की है.
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर असेंबली में बम फेंकने का केस चला.
लेकिन ब्रिटिश सरकार भगत सिंह के पीछे पड़ गई थी. सुखदेव और राजगुरु भी जेल में
थे. सांडर्स की हत्या का दोषी तीनों को माना गया, जिसे लाहौर
षडयंत्र केस माना गया. तीनों पर सांडर्स को मारने के अलावा देशद्रोह का केस चला.
दोषी माना गया. बटुकेश्वर दत्त को असेंबली में बम
फेंकने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
7 अक्टूबर 1930 को फैसला सुनाया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया जाए. दिन तय हुआ 24 मार्च 1931. लेकिन अंग्रेज डरते थे कि कहीं बवाल न हो जाए. इसलिए 23 मार्च 1931 को शाम करीब साढ़े सात बजे ही तीनों को लाहौर की जेल में फांसी पर लटका दिया गया.
परेरणा .
अनूठा प्रसंग........
दिव्य मिठास
एक दिन मंगलवार की सुबह वॉक करके रोड़ पर बैठा हुआ था,हल्की हवा और सुबह का सुहाना मौसम बहुत ही अच्छा लग रहा था,तभी वहाँ एक Hundai tucson आकर रूकी, और उसमें से एक वृद्ध उतरे,अमीरी उसके लिबाज और व्यक्तित्व दोनों बयां कर रहे थे।
वे एक पॉलीथिन बैग ले कर मुझसे कुछेक दूर ही एक सीमेंट के चबूतरे पर बैठ गये, पॉलीथिन चबूतरे पर उंडेल दी,उसमे गुड़ भरा हुआ था,अब उन्होने आओ आओ करके पास ने ही खड़ी बैठी गायो को बुलाया,सभी गाय पलक झपकते ही उन बुजुर्ग के इर्द गिर्द ठीक ऐसे ही आ गई जैसे कई महीनो बाद बच्चे अपने बाप को घेर लेते हैं,कुछ को उठाकर खिला रहे थे तो कुछ स्वयम् खा रही थी,वे बड़े प्रेम से उनके सिर पर हाथ फेर रहे थे।कुछ ही देर में गाय अधिकांश गुड़ खाकर चली गई, इसके बाद जो हुआ वो वो वाक्या हैं जिसे मैं ज़िन्दगी भर नहीं भुला सकता,
हुआ यूँ की गायो के खाने के बाद जो गुड़ बच गया था वो बुजुर्ग उन टुकड़ो को उठा उठा कर खाने लगे,मैं उनकी इस क्रिया से अचंभित हुआ पर उन्होंने बिना किसी परवाह के कई टुकड़े खाये और अपनी गाडी की और चल पड़े।
मैं दौड़कर उनके नज़दीक पहुँचा और बोला अंकल जी क्षमा चाहता हूँ पर अभी जो हुआ उससे मेरा दिमाग घूम गया क्या आप मेरी जिज्ञाषा शांत करेंगे की आप इतने अमीर होकर भी गाय का झूँठा गुड क्यों खाया ??उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभरी उन्होंने खिड़की वापस बंद की और मेरे कंधे पर हाथ रख वापस सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे,और बोले ये जो तुम गुड़ के झूँठे टुकड़े देख रहे हो ना बेटे मुझे इनसे स्वादिष्ट आज तक कुछ नहीं लगता।जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड की मिठास घोलता हूँ।
मैं अब भी नहीं समझा अंकल जी आखिर ऐसा क्या हैं इस गुड में ???वे बोले ये बात आज से कोई 40 साल पहले की हैं उस वक़्त मैं 22 साल का था घर में जबरदस्त आंतरिक कलह के कारण मैं घर से भाग आया था,परन्तू दुर्भाग्य वश ट्रेन में कोई मेरा सारा सामान और पैसे चुरा ले गया।इस अजनबी शहर में मेरा कोई नहीं था,भीषण गर्मी में खाली जेब के दो दिन भूखे रहकर इधर से उधर भटकता रहा,और शाम को जब भूख मुझे निगलने को आतुर थी तब इसी जगह ऐसी ही एक गाय को एक महानुभाव गुड़ डालकर गया,यहाँ एक पीपल का पेड़ हुआ करता था तब चबूतरा नहीं था,मैं उसी पेड़ की जड़ो पर बैठा भूख से बेहाल हो रहा था,मैंने देखा की गाय की गाय ने गुड़ छुआ तक नहीं और उठ कर चली गई,मैं कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़सोचता रहा और फिर मैंने वो सारा गुड़ उठा लिया और खा लिया।मेरी मृतप्रायः आत्मा में प्राण आ गये।
मैं उसी पेड़ की जड़ो में रात भर पड़ा रहा,सुबह जब मेरी आँख खुली तो काफ़ी रौशनी हो चुकी थी,मैं नित्यकर्मो से फारिक हो किसी काम की तलास में फिर सारा दिन भटकता रहा पर दुर्भाग्य मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था,एक और थकान भरे दिन ने मुझे वापस उसी जगह निराश भूखा खाली हाथ लौटा दिया।शाम ढल रही थी,कल और आज में कुछ भी तो नहीं बदला था, वही पीपल,वही भूखा मैं और वही गाय।कुछ ही देर में वहाँ वही कल वाले सज्जन आये और कुछेक गुड़ की डलिया गाय को डालकर चलते बने,गाय उठी और बिना गुड़ खाये चली गई,मुझे अज़ीब लगा परन्तू मैं बेबस था सो आज फिर गुड खा लिया मैंने और वही सो गया,सुबह काम तलासने निकल गया,आज शायद दुर्भाग्य की चादर मेरे सर पे नहीं थी सो एक ढ़ाबे पे पर मुझे झूँठे बर्तन धोने का काम मिल गया।
कुछ दिन बाद जब मालिक ने मुझे पहली पगार दी तो मैंने 1 किलो गुड़ख़रीदा और किसी दिव्य शक्ति के वशीभूत 7 km पैदल चलकर उसी पीपल के पेड़ के नीचे आया नज़र दौड़ाई तो गाय भी दिख गई,मैंने सारा गुड़ उस गाय को डाल दिया,इस बार मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा चौंका क्योकि गाय सारा गुड़ खा गई,जिसका मतलब साफ़ था की गाय ने 2 दिन जानबूझ कर मेरे लिये गुड़ छोड़ा था,मेरा हृदय भर उठा उस ममतामई स्वरुप की ममता देखकर,मैं रोता हुआ ढ़ाबे पे पहुँचा,और बहुत सोचता रहा,फिर एक दिन मुझे एक फर्म में नौकरी मिल गई,दिन बे दिन मैं उन्नति और तरक्की के शिखर चढ़ता गया,शादी हुई बच्चे हुये आज मैं खुद की फर्म का मालिक हूँ,जीवन की इस लंबी यात्रा में मैंने कभी भी उस गाय माता को नहीं भुलाया,
मैं अक्सर यहाँ आता हूँ और इन गायो को गुड़ डालकर इनका झूँठा गुड़ खाता हूँ।,मैं लाखो रूपए गौ शालाओं में चंदा देता हूँ, परन्तू मेरी मृग तृष्णा यही आकर मिटती हैं बेटे। मैं देख रहा था वे बहुत भावुक हो चले थे, समझ गये अब तो तुम, मैंने सिर हाँ में हिलाया,वे चल पड़े, गाडी स्टार्ट हुई और निकल गई,मैं उठा। उन्ही टुकड़ो में से एक टुकड़ा उठाया मुँह में डाला। सचमुच वो कोई साधारण गुड़ नहीं था उसमे कोई दिव्य मिठास थी जो जीभ के साथ आत्मा को भी मीठा कर गई।