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दैनिक जनचेतना

वर्ष:11,अंक:12,मंगलवार,24नवंबर.2020.

  आज का संदेश .

समाज धीमी गति से निरन्तर आगे बढ़ती शक्तिशाली संस्था है जिस में आकस्मिक परिवर्तन टेढ़ी खीर है। यह स्दैव विनाशकारी स्थितियों में ही संभव होता है और इस के लिये बड़ी कुर्बानी का सामर्थय रखने वाले महान व्यक्तित्व की आवश्यकता होती है। यूँ भी आकस्मिक परिवर्तन को समाज में सम्मान से नहीँ देखा जाता बल्कि संस्कृति की रक्षा के नाम पर, इसे दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया जाता है। कानून भी बनाए जाते हैं जिन को उलंघना करने पर दण्डित होना पड़ता है। यही नहीं, आकस्मिक परिवर्तन के इच्छुकों के सगे सम्बंधी, सज्जन मित्र भी उन का बाईकाट कर देते हैँ। ऐसा समाज में भेड चाल के चलते होता है। लेग अमानवीय जुल्मों के विरूद्ध भी चुप्पी लगाए रहते हैं बल्कि इन्साफ माँगने वालों की भर्तसना करने से भी नहीं चूकते। इस से परिवर्तन में प्रयासरत आहत होते हैं, उन का मनोबल टूट जाता है।

 भारत का इतिहास-14.

वेद सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थों हैं और वे सबसे पहले आते हैं। आम धारणा अनुसार वेद के ब्रह्मा जी की रचना हैं और विभिन्न ऋषियों ने से विभिन्न भागों को कड़ी तपस्या के पश्चात प्राप्त उन्हे प्राप्त किया। वेद आर्यों के प्राचीनत ग्रन्थ हैं जो चार हैं-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद।

ऋग्वेद देवताओं की स्तुति से सम्बंधित रचनाओं का संग्रह है।

यह 10 मंडलों में विभक्त है। इस मे 2 से 7 तक के मंडल प्राचीनतम माने  जाते हैं। प्रथम एवं दशम मंडल बाद में जोड़े गए हैं। इसमें 1028 सूक्त हैं।

इसकी भाषा पद्यात्मक है। ऋग्वेद में 33 देवों (दिव्य गुणो से युक्त पदार्थ) का उल्लेख मिलता है।

प्रसिद्ध गायत्री मंत्र जो सूर्य से सम्बंधित देवी गायत्री को संबोधित है, ऋग्वेद में सर्वप्रथम प्राप्त होता है।

' असतो मा सद्गमय ' वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है।

ऋग्वेद में मंत्र को कंठस्त करने में स्त्रियों के नाम भी मिलते हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लोपामुद्रा, घोषा, शाची, पौलोमी एवं काक्षावृती आदि

इसके पुरोहित का नाम होत्री है।

  भारतीय़ इतिहास में आज.

24 नवंबर

मुख्य घटनाएँ:

1877: डिप्‍टी कमिश्‍नर बनने वाले पहले हिंदुस्‍तानी कवासाजी जमाशेदजी पेटिगरा का जन्‍म हुआ था.

1955: क्रिकेट के सबसे धमाकेदार हरफनमौला खिलाडि़यों में शुमार इयान बॉथम का जन्‍म हुआ था.

1963: अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी के हत्यारे ली हार्वे ऑस्वाल्ड की आज ही के दिन में हत्या कर दी गई थी.

1989: चेकेस्लोवाकिया में एक नए युग की शुरूआत हुई थी जब तत्कालीन कम्युनिस्ट पार्टी के पूरे नेतृत्व ने सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे दिया था.

2003: हिंदी फिल्‍मों में कॉमेडी का तड़का लगाने वाली उमा देवी खत्री का निधन हुआ था.

टुन टुन...

टुन टुन... बॉलीवुड का वो नाम है, जिसे सुनते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। आज की पीढ़ी भले ही इस नाम से अंजान हो लेकिन उन्हें बॉलीवुड का पहला कॉमेडियन कहा जाता है। टुन टुन का असली नाम उमा देवी खत्री था, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 11 जुलाई, 1923 को हुआ था। जब वो छोटी ही थीं तभी जमीन के लिए उनके माता-पिता और भाई की हत्या कर दी गई। आज टुन टुन के जन्मदिन पर आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।

बचपन से ही टुन टुन को गाने का काफी शौक था। वो अक्सर रेडियो पर गाना सुनकर उसका रियाज किया करती थीं। टुन टुन की बचपन से ही तमन्ना थी कि मुंबई जाकर गायकी में अपना करियर बनाएं, लेकिन उस दौर में लड़कियों का पढ़ाई करना तक मुश्किल था, तो गायिका बनना तो दूर की बात थी। 23 साल की उम्र में टुन टुन अपना घर छोड़कर भाग गईं।

भागकर टुन टुन सीधे मुंबई में संगीतकार नौशाद अली के बंगले पर पहुंची और उनका दरवाजा पीटने लगीं। नौशाद के सामने वो जिद पर अड़ गईं कि अगर उन्हें गाने का मौका नहीं मिला, तो वो उनके बंगले से समुद्र में कूद जाएंगीं। इसके बाद नौशाद ने उनका छोटा सा ऑडिशन लिया। वामिक अजरा फिल्म से टुन टुन को पहली बार गाने का मौका मिला। 

अफसाना लिख रही हूं', 'ये कौन चला मेरी आंखों में समा कर' और 'आज मची है धूम झूम खुशी से झूम' जैसे गाने आज भी लोगों की जुबां पर अक्सर सुनने को मिल जाते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि इस खूबसूरत गाने को आवाज देने वाली गायिका का नाम है टुन टुन।

 टुन टुन का करियर बतौर गायिका ठीक चल रहा था, लेकिन उस दौर में कई नई गायिकाएं फिल्मी दुनिया में आने लगी थीं। टुनटुन को गाने मिलने कम हो गए, तो नौशाद साहब ने उनसे कहा कि तुम फिल्मों में एक्टिंग क्यों नहीं करती। फिल्मों में आने के लिए टुन टुन तैयार तो हो गईं, लेकिन साथ ही उन्होंने ये शर्त रखी कि अगर दिलीप कुमार के साथ फिल्म होगी तभी एक्टिंग करूंगी। नौशाद उनकी

बात सुनकर हंस पड़े। लेकिन 1950 में टुन टुन की ये तमन्ना पूरी हुई और फिल्म बाबुल में दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला।

टुन टुन बनकर उन्होंने ऐसा कमाल
किया कि वो भारत की पहली कॉमेडियन बन गईं। उस दौर की फिल्मों में खासतौर पर उनके लिए रोल लिखे जाते थे। उन्होंने उस दौर के सभी बड़े स्टार्स के साथ काम किया। पांच दशक के करियर में टुन टुन ने करीब
200 फिल्मों में काम किया। 90 का दशक आते-आते उन्होंने फिल्मों से खुद को अलग कर लिया। 24 नवंबर, 2003 को टुन टुन इस दुनिया को अलविदा कह गईं, लेकिन आज भी वे लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

 

 परेरणा .

"भीड़ मर गयी

गैलीलियो नहीं मरा"

हम सब को बहुत गुस्सा आता है जब हम पढते हैं कि किस तरह क्रूर ईसाई धर्मान्धों ने गैलीलियो को जिंदा जला दिया था ! गैलीलियो का गुनाह क्या था ? उसने सच बोला था ! उसने कहा था कि सूर्य पृथ्वी के चारों तरफ नहीं घूमता बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ घूमती है ! जबकि धर्मग्रन्थ में लिखा था कि पृथ्वी केन्द्र में है और सूर्य तथा अन्य गृह उसके चारों तरफ घुमते हैं !गैलीलियो ने जो बोला वो सच था ! धर्मग्रन्थ में झूठ लिखा था !इसलिए धर्मग्रंथ को ही सच मानने वाले सारे अंधे गैलीलियो के विरुद्ध हो गये !गैलीलियो को पकड़ कर मुकदमा चलाया गया ! अदालत ने सत्य को अपने फैसले का आधार नहीं बनाया ! अदालत भीड़ से डर गयी ! भीड़ ने कहा यह हमारे धर्म के खिलाफ बोलता है इसे जिंदा जला दो ! अदालत ने फ़ैसला दिया इसे ज़िंदा जलादो क्योंकी इसने लोगों की धार्मिक आस्था के खिलाफ बोला है ! सत्य हार गया आस्था जीत गयी ! जिंदा जलादिया गया गैलीलियो, सत्य बोलने के कारण!

आज भी जब हम ये पढते हैं तो सोचते हैं कि काश तब हम जैसे समझदार लोग होते  तो ऐसा गलत काम न होने देते ! लेकिन अगर मैं आपको बताऊँ कि ऐसा आज भी हो रहा और आप इसे होते हुए चुपचाप देख भी रहे हैं तो भी क्या आप में इसका विरोध करने का साहस है ? आप अपनी तो छोडि़ये इस देश के सर्वोच्च न्यायालय में भी ये साहस नहीं है ! न्यायालय के एक नहीं अनेकों निर्णय ऐसे हैं जो सत्य के आधार पर नहीं धर्मान्ध भीड़ को खुश करने के लिए दिये गये हैं !

पहला उदाहरण है अमरनाथ के बर्फ के पिंड को शिवलिंग मानने के बारे में स्वामी अग्निवेश के बयान पर उन्हें सर्वोच्च न्यायालय की फटकार ! दो-दो जिला अदालतों द्वारा अग्निवेश के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिये गये ! वो बेचारे ज़मानत के लिए भटकते घूमे ! स्वामी अग्निवेश ने कौन सी झूठी बात कही भाई ! क्या ये विज्ञान सम्मत बात नहीं है कि उस तापमान पर अगर पानी टपकेगा तो पिंड के रूप में जम ही जायेगा ! अगर डरे हुए करोडों लोग उस पिंड को भगवान  मानते है तो इससे विज्ञान अपना सिद्धांत तो नहीं बदल देगा ! या तो बदल दो बच्चों की विज्ञान की किताबे !या फिर कहने दो किसी को भी सच बात ! उन्हें इस सच को कहने के लिए पीटा गया ! उनकी गर्दन काट कर लाने के लिए एक धार्मिक संगठन ने दस लाख के नगद इनाम की घोषणा कर दी ! कोई राजनैतिक पार्टी इस बात के लिए नहीं बोली ! सबको इन्ही धर्मान्धों के वोट चाहिए !सबसे ज्यादा गुस्से की बात ये है कि इसी युग में, इसी साल इसी मामले पर इसी देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर स्वामी अग्निवेश को फटकार लगाईं !

भयंकर स्थिति है ! सच नहीं बोला जा सकता ! विज्ञान बढ़ रहा है ! विज्ञान का उपयोग हथियार बनाने में हो रहा है ! विज्ञान की खोज, टीवी का इस्तेमाल लोगों के दिमाग बंद करने में किया जा रहा है ! लोगों को भीड़ में बदला जा रहा है ! भीड़ की मानसिकता को एक जैसा बनाया जा रहा है ! जो अलग तरह से बोले उसे मारो या जेल में डाल दो ! अलग बात बोलने वाला अपराधी है ! सच बोलने वाला अपराधी है !

ये मस्जिदें तोड़ने वाली भीड़ ये दलितों की बस्तियां जला देने वाली भीड़ ये आदिवासियों को नक्सली कह कर उनका दमन कर उनकी ज़मीने छीनने वाली भीड़ जो दंतेवाड़ा से अयोध्या तक फ़ैली है, वही भीड़ संसद में दाखिल हो गयी है ! वो कुर्सियों पर बैठ गयी है ! वो सोनी सोरी मामले में अत्याचारी पुलिस का साथ  दे रही है ! वो देश में मोदी का साथ दे रही है ! वो तर्क को नहीं मानेगी, इतिहास को नहीं मानेगी !

ये भीड़ राजनीति को चलाएगी ! विज्ञान को जूतों तले रोंद देगी ! कमजोर किसान मजदूर को मार देगी ! और फिर ढोंग करके खुद को धर्मिक, राष्ट्रभक्त और मुख्यधारा कहेगी !

मैं खुद को इस भीड़ के राष्ट्रवाद, धर्म और राजनीति से अलग करता हूं ! मुझे इसके खतरे पता हैं ! पर मैंने इतिहास में जाकर जलते हुए गैलीलियो के साथ खड़े होने का फ़ैसला किया है ! मुझे पता है मेरा अंत उससे ज्यादा बुरा हो सकता है ! पर देखो न भीड़ मर गयी पर गैलीलियो नहीं मरा !