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दैनिक जनचेतना
वर्ष:11,अंक:10,शनिवार,21नवंबर.2020.
आज का संदेश .
न्यूनतम आवश्यक्ताओं की पूर्ति के अभाव में मनुष्य विभिन्न रोगों से ग्रस्त जाता है। कुपोष्ण का शिकार बालक जीवन को बोझ की तरह ढोते हैं। कमजोर शरीर, मुरझाए चेहरे लिए यह मनुष्य जीवन की खूबसूरती व प्रत्येक खुशी से वंचित रहते हैं। अपनी और अपने ऊपर निर्भर व्यक्तियों की आवश्यक्ताएँ पूरी ना कर पाने का दुख उन्हें परेशान किए रहता है। कई आत्महत्या की ओर अग्रसर होने को विवश हो जाते हैँ। अधिक निराश आतंकवाद के पथ पर समस्त मानवता की खुशियाँ छीनने लगते हैं।इस समस्या का एकमात्र समाधान मनुष्य की न्यूनतम आवश्यक्ताओं को उस का मौलिक अधिकार बनाना है। इन की पूर्ति समाज का ही ध्येय होना चाहिए। जो जन्म ले, उसे खाने, वस्त्र और गृहस्थान की चिंता नहीं ही होनी चाहिए।
भारत का इतिहास-12 .
उपर्युक्त पांच पुराण के विषय होते हुए भी अठारहों पुराणों में वंशानुचरित का प्रकरण प्राप्त नहीं होता। यह दुर्भाग्य ही है क्योंकि पुराणों में जो ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण विषय है, वह वंशानुचरित है। वंशानुचरित केवल भविष्य, मत्स्य, वायु, विष्णु, ब्रह्माण्ड तथा भागवत पुराणों में ही प्राप्त होता है।
गरुड़-पुराण में भी पौरव, इक्ष्वाकु और बार्हदय राजवंशों की तालिका प्राप्त होती है। पर इनकी तिथि पूर्णतया अनिश्चित है। पुराणों की भविष्यवाणी शैली में कलियुग के नृपतियों की तालिकाओं के साथ शिशुनाग, नन्द, मौर्य, शुंग, कण्व, आन्ध्र तथा गुप्तवंशों की वंशावलियाँ भी प्राप्त होती हैं। शिशुनागों में ही बिम्बिसार एवं अजातशत्रु का उल्लेख मिलता है। इस प्रकार पुराण चौथी शताब्दी की स्थितियों का उल्लेख करते हैं। मौर्य वंश के संबंध में विष्णु पुराण में अधिक उल्लेख मिलते हैं। ठीक इसी प्रकार मत्स्य पुराण में मान्ध्र वंश का पूरा उल्लेख मिलता है। वायु पुराण गुप्त सम्राटों की शासन प्रणाली पर प्रकाश डालते हैं। इन पुराणों में शूद्रों और म्लेच्छों की वंशावली भी दी गयी है। आभीर, शक, गर्दभ, यवन, तुषार, हूण आदि के उल्लेख इन्हीं सूचियों में मिलते हैं।भारतीय़ इतिहास में आज.
21 नवंबर
मुख्य घटनाएँ:
· 1906 – चीन ने अफीम के व्यापार पर रोक लगाई।
· 1921 – प्रिंस ऑफ वेल्स (सम्राट एडवर्ड अष्टम) बाँबे (अब मुंबई) पहुंचे और कांग्रेस ने देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया।
· 1947 – आजादी के बाद देश में पहली बार डाक टिकट जारी किया गया।
· 1956 – एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी।
· 1962 – भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान चीन ने संघर्षविराम का ऐलान किया।
· 1963 – केरल के थुंबा क्षेत्र से रॉकेट छोड़े जाने के साथ ही भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरु हुआ।
· 1963 – भारत का 'नाइक-अपाचे' नाम का पहला रॉकेट छोड़ा गया।
· 1979 – मक्का में काबा मस्जिद पर मुस्लिम उग्रवादियों का अधिकार।
· 1986 – मध्य अफ़्रीकी गणराज्य नेे संविधान अंगीकार किया।
· 1999 – चीन द्वारा अपने प्रथम मानव रहित अंतरिक्ष यान 'शेनझू' का प्रक्षेपण किया गया।
· 2001 – संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में अंतरिम प्रशासन के गठन का प्रस्ताव रखा।
· 2002 – मुस्लिम लीग (कायदे आजम) के नेता जफ़रउल्ला ख़ान जमाली पाकिस्तान के प्रधानमंत्री निर्वाचित।
· 2002 – बुल्गारिया, इस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया ,रोमानिया,स्लोवाकिया और स्लोवेनिया को नाटो ने संगठन का सदस्य बनने का निमंंत्रण दिया।
· 2005 – श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने पूर्व प्रधानमंत्री रत्नसिरी विक्रमनायके को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
· 2006 – भारत और चीन ने नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में साझा सहयोग बढ़ाने का फैसला किया।
· 2007 – पैप्सिको चैयरमैन इंदिरा नूई को अमेरिकी इंडियन बिजनेस काउंसिल के निदेशक मंडल में शामिल किया गया।
· 2008 – प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वैश्विक मंदी के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर 8% रहने की सम्भावना व्यक्त की।
· 2008 – राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पंजाब और हरियाणा में दो नये जजों जस्टिस राकेश कुमार गर्ग व राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया।
डाक टिकट
देश् में डाक टिकट का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी कि देश की आजादी। डाक टिकटों की विकास यात्रा भी बेहद दिलचस्प है। आज हम आपको बताएंगे कि देश का पहला डाक टिकट कब जारी हुआ। इसके साथ डाक टिकट से जुड़े कुछ अनछुए पहलूओं पर भी प्रकाश डालेंगे।
भारत का पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी हुआ। इसका उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिए किया गया। इस पर भारतीय ध्वज का चित्र और जय हिंद लिखा हुआ है। आजाद भारत का पहला डाक टिकट साढ़े तीन आना राशि यानी 14 पैसा था। हालांकि, 15 अगस्त, 1947 को नेहरू जी ने आजादी के बाद लाल किले से अपने पहले भाषण का समापन जय हिंद से किया। उस वक्त डाकघरों को एक सुचना भेजी गई कि नए डाक टिकट आने तक, डाक टिकट चाहे अंग्रेजी सम्राट जॉर्ज की ही मुखाकृति की उपयोग में आए, लेकिन उस पर मुहर 'जय हिन्द' की लगाई जाए।
आजाद भारत का पहले डाक टिकट का उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिए किया गया। इस पर भारतीय ध्वज का चित्र लगा हुआ था। डाक टिकट की यह राशि 1947 तक 'आना' में ही रही, जबकि रुपए की कीमत 'आना' की जगह बदल कर '100 नए पैसे' में कर दी गई। वैसे 1964 में पैसे के साथ जुड़ा 'नया' शब्द भी हटा दिया गया। 1947 में एक रुपया '100 पैसे' का नहीं बल्कि '64 पैसे' यानि 16 आने का होता था और इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था। देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिए पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया। इसकी कीमत डेढ़ आना थी। इसी तरह विदेश में भेजे जाने वाले पत्रो के लिए पहले डाक टिकट पर डीसी चार विमान का चित्र बना हुआ था, उसकी राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी।
आजाद भारत में महात्मा गांधी ऐसे पहले भारतीय थे, जिन पर डाक टिकट जारी किया गया था। देश में अब तक जितनी भी हस्तियों पर डाक टिकट जारी किए गए हैं, उनमें से सबसे ज्यादा टिकट महात्मा गांधी के नाम पर ही जारी हुए थे। भारत में अब तक कई लोगों के नाम पर डाक टिकट जारी हो चुके हैं। इसमें से कुछ डाक टिकट प्रचलन में नहीं आए। उन्हें केवल सम्मान स्वरूप प्रकाशित किया गया है।
पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट में योगदान को देखते हुए उन पर एक टिकट जारी किया गया। वह देश के पहले ऐसे जीवित व्यक्ति है, जिन पर 14 नवंबर, 2013 को डाक टिकट जारी हुआ। 1947 में महात्मा गांधी के जीवित रहते उन पर डाक टिकट जारी की तैयारी थी, लेकिन किसी ने कहा टिकट आजादी के जश्न पर 15 अगस्त 1948 को जारी हो। गांधी की 30 जनवरी 1948 को मृत्यु हो गई।
न्यूयार्क में एक नीलामी के दौरान 19वीं शताब्दी के एक दुर्लभ डाक टिकट को 95 लाख डॉलर या करीब 57 करोड़ रुपये में बेचा गया। इस डाक टिकट को दक्षिण अमरीका के ब्रिटिश उपनिवेश ब्रिटिश गिआना ने जारी किया था। किसी भी डाक टिकट के लिए एक नया रिकॉर्ड बनाने के साथ ही ये वजन और आकार के लिहाज से दुनिया की सबसे महंगी वस्तु बन गया है। डाक टिकट मजेंटा या रानी रंग के कागज़ पर छपा है, इस पर एक तीन मस्तूलों वाला जहाज़ बना हुआ है और उपनिवेश का मोटो छपा है।
नौ अक्टूबर को मनाया जाता है विश्व डाक दिवस ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ के गठन के लिए नौ अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि की थी। इसलिए प्रत्येक वर्ष नौ अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत एक जुली 1876 को ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ का सदस्य बना था। डाक कहीं ज़रूरत है तो कहीं शौक़ भी है। इस से जुड़ा है फ़िलाटेली यानी डाक-टिकट जमा एवं उसका अध्यन करने का शौक़ है। दुनिया में कई लोग इसके संग्रह में दिलचस्पी रखते हैं। हर महत्वपूर्ण अवसर पर डाक टिकट जारी किए जाते हैं। भारतीय डाक ने अपने विशेष डाक-टिकटों के द्वारा महत्वपूर्ण अवसर, व्यक्ति और घटना को फ़र्स्ट डे कवर यानी प्रथम दिवस आवरण से प्रदर्शित भी किया है।
परेरणा .
दोस्ती
एक बार एक आदमी बड़ी आराम से अपनी गाड़ी में जा रहा था कि अचानक सामने से आ रही एक महिला की गाड़ी आ कर उसकी गाड़ी से टकरा गयी, पर एक्सिडेंट के बाद दोनों सुरक्षित बच गए।
जब दोनों गाड़ी से बाहर आये तो महिला ने पहले अपनी गाड़ी को देखा जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी, फिर वो सामने की तरफ गयी जहाँ आदमी भी अपनी गाड़ी को बड़ी गौर से देख रहा था।
तभी वह महिला उससे रूबरू होते हुए बोली, "देखिये कैसा संयोग है कि गाड़ियाँ पूरी तरह से टूट-फूट गयी पर हमें चोट तक नहीं आई। यह सब भगवान की मर्जी से हुआ है ताकि हम दोनों मिल सकें। मुझे लगता है कि अब हमें आपस में दोस्ती कर लेनी चाहिए।"
आदमी ने भी सोचा कि इतना नुक्सान होने के बाद भी गुस्सा करने के बजाय दोस्ती के लिए कह रही है तो कर लेता हूँ और बोला, "आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं कि ये सब भगवान की मर्जी से हुआ है।"
तभी महिला ने कहा, "एक चमत्कार और देखिये कि पूरी गाड़ी टूट-फूट गयी पर अंदर रखी शराब की बोतल बिल्कुल सही है।"
आदमी ने कहा, "वाकई यह तो हैरान करने वाली बात है।"
महिला ने बोतल खोली और बोली, "आज हमारी जान बची है, हमारी दोस्ती हुई है तो क्यों न थोड़ी सी ख़ुशी मनाई जाए।"
महिला ने बोतल को उस आदमी की तरफ बढ़ाया उसने भी बोतल को पकड़ा और मुहं से लगाया और आधी करके बोतल वापस महिला को दे दी।
फिर कहने लगा, "आप भी लीजिये।"
महिला ने बोतल को पकड़ा उसका ढक्कन बंद किया और एक तरफ रख दी।
आदमी ने पूछा, "क्या आप शराब नहीं पियेंगी?"
महिला बड़े आराम से बोली, "नहीं ...मुझे लगता है मुझे पुलिस का इंतज़ार करना चाहिए ताकि मैं बता सकूँ कि इस शराबी ने मेरी गाडी ठोक दी है।"