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दैनिक जनचेतना

वर्ष:11,अंक:7,बुधवार,18नवंबर.2020.

 आज का संदेश .

समाज, जिस में हम रहते हैं, गतिशील है और निरन्तर बदलता रहता है। इस का रस्मों-रिवाज, मान्यताएँ, संस्थाएँ सभी में परिवर्तन होता रहता है और इस परिवर्तन की दिशा सदैव नवीनता की ओर रहती है परन्तु यह परिवर्तन इतना सहज तथा धीमी गति से होता है कि इस का आभास तक नहीँ होता। समाज में धीमें परिवर्तन का कारण मूलत: इस की संस्कृति होती है। हमारी संस्क्रति हमारी आदतों, अभ्यस्तता से निर्मित हेती है और इन्हें परिवर्तित करना मुशकिल होता है और समय लेता है।

सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होना आवश्यक है, परिवर्तन हेतु प्रयास भी करने चाहिएँ परन्तु तत्काल परिणाम अवाँछनीय हैं। आम का जो पेड़ हम आरोपित करेंगे, उस के फल  हमारे पौत्र, पड़पौत्रों को नसीब होगा।

  भारत का इतिहास-9 .

युगान्तर में वैदिक अध्ययन के लिए छः विधाओं की शाखाओं का जन्म हुआ जिन्हेंवेदांगकहते हैं। वेदांग का शाब्दिक अर्थ है-वेदों का अंग, तथापि इस साहित्य के पौरूषेय होने के कारण श्रुति साहित्य से पृथक ही गिना जाता है। वे ये हैं-शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्दशास्त्र तथा ज्योतिष। वैदिक शाखाओं के अन्तर्गत ही उनका पृथकृ-पृथक वर्ग स्थापित हुआ और इन्हीं वर्गों के पाठ्य ग्रन्थों के रूप में सूत्रों का निर्माण हुआ। कल्पसूत्रों को चार भागों में विभाजित किया गया-श्रौत सूत्र जिनका संबंध महायज्ञों से था, गृह्य सूत्र जो गृह संस्कारों पर प्रकाश डालते थे, धर्म सूत्र जिनका संबंध धर्म तथा धार्मिक नियमों से था, शुल्व सूत्र जो यज्ञ, हवन-कुण्ठ बेदी, नाम आदि से संबंधित थे। वेदांग से जहाँ एक ओर प्राचीन भारत की धार्मिक अवस्थाओं का ज्ञान प्राप्त होता है, वहाँ दूसरी ओर इसकी सामाजिक अवस्था का भी।

  भारतीय़ इतिहास में आज.

18 नवंबर

मुख्य घटनाएँ:

1928: पहली बार वॉल्‍ट डिजनी कंपनी का मैस्‍कॉट स्‍टीमबोट विली नजर आया. जिसका नाम मिकी माउस पड़ गया.

1963: में अमेरिकी टेलीफोन कंपनी बेल सिस्टम्स दुनिया के सामने पहला ऐसा फोन लाई जिसमें बटन वाला डायलिंग पैड था.

1978: दक्षिणी अमरीका के गयाना शहर में 276 बच्चों समेत 914 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी.

1989: आज ही के दिन लगभग 50 हज़ार लोगों ने बुल्ग़ारिया के शहर सोफ़िया में राजनीतिक सुधार की मांग को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया था.

1991: चार साल से बंधक बनाए गए ब्रितानी चर्च के दूत टेरी वेट को इस्लामी चरमपंथियों ने आज ही के दिन रिहा कर दिया था.

मिकी माउस 


मिकी माउस
वाल्ट डिज़्नी का एक कार्टून पात्र है। मिकी माउस एक चूहा है। मिकी के पात्र का सर्जन वॉल्ट डिज़नी और यूबी इवेर्क्स द्वारा १९२८ में वॉल्ट डिज़नी स्टूडियो में किया गया था। मिकी एक एंथ्रोपोमोर्फिक माउस है जो आमतौर पर लाल शॉर्ट्स, बड़े पीले जूते और सफेद दस्ताने पहनता है। प्लूटो नामक कुत्ता उसका दोस्त है। मिकी वाल्ट डिज़्नी का बनाया हुआ सब्से पहला और सबसे लोकप्रिय कार्टून है। स्टीमबोट विली मिकी की पहली फिल्म थी।

मिकी पहली छोटी शॉर्ट प्लेन क्रेज़ी में दिखाई दी, जो कि पहली ध्वनि कार्टून में से एक, लघु फिल्म स्टीमबोट विली (1928) में सार्वजनिक रूप से शुरू हुई थी। वह द बैंड कॉन्सर्ट (1935), ब्रेव लिटिल टेलर (1938), और फंतासिया (1940) समेत 130 से अधिक फिल्मों में शामिल होने के लिए आगे बढ़े। मिकी मुख्य रूप से लघु फिल्मों में दिखाई दिया, लेकिन कभी-कभी फीचर-लेंथ फिल्मों में भी। मिकी के कार्टूनों में से दस सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड शॉर्ट फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किए गए थे, जिनमें से एक, लैंड ए Paw ने 1942 में पुरस्कार जीता था। 1978 में, मिकी हॉलीवुड वॉक ऑफ़ फेम पर एक स्टार रखने वाले पहले कार्टून चरित्र बन गए।

1930 की शुरुआत में, मिकी को कॉमिक स्ट्रिप चरित्र के रूप में व्यापक रूप से दिखाया गया है। मुख्य रूप से फ़्लॉइड गॉटफ्रेडसन द्वारा खींचा गया उनका स्वयं-शीर्षक अख़बार स्ट्रिप, 45 वर्षों तक चला। मिकी ने डिज़नी इटली के टॉपोलिनो, एमएम मिकी माउस मिस्ट्री मैगज़ीन, और विज़ार्ड्स ऑफ मिकी जैसी कॉमिक किताबों में और मिकी माउस क्लब (1955-1996) और अन्य जैसे टेलीविजन श्रृंखला में भी दिखाई दिया है। वह अन्य मीडिया जैसे वीडियो गेम के साथ-साथ मर्चेंडाइजिंग में भी दिखाई देता है और डिज्नी पार्क में एक सुखद चरित्र है।

मिकी आम तौर पर अपनी प्रेमिका मिनी माउस, उनके पालतू कुत्ते प्लूटो, उनके दोस्तों डोनाल्ड डक और गूफी और उनकी दासता पीट के साथ दिखाई देती है, दूसरों के बीच (मिकी माउस ब्रह्मांड देखें)। यद्यपि मूल रूप से एक शरारती एंथिरो के रूप में चित्रित किया गया था, मिकी को समय के साथ एक हर आदमी के रूप में पुन: ब्रांड किया गया था, जिसे आम तौर पर एक दोषपूर्ण, लेकिन साहसी नायक के रूप में देखा जाता था। 2009 में, डिज्नी ने अपने सुखद, हंसमुख पक्ष पर कम जोर देकर और वीडियो गेम एपिक मिकी के साथ शुरुआत में अपने व्यक्तित्व के अधिक शरारती और साहसी पक्षों को पुन: पेश करके चरित्र को दोबारा शुरू करना शुरू कर दिया।

 परेरणा .

बुढापे की लाठी-"बहू"

लोगों से अक्सर सुनते आये हैं कि बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है। इसलिये लोग अपने जीवन मे एक "बेटा" की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे।

ये बात सच भी है क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है। बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है।

और फिर बहु बन जाती है अपने बूढ़े सास-ससुर की बुढ़ापे की लाठी। जी हाँ मेरा तो यही मनाना है वो बहु ही होती है जिसके सहारे बूढ़े सास-ससुर अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करते हैं।

एक बहु को अपने सास-ससुर की पूरी दिनचर्या मालूम होती।कौन कब और कैसी चाय पीते है, क्या खाना बनाना है, शाम में नाश्ता में क्या देना,रात को हर हालत में 9 बजे से पहले खाना बनाना है।अगर सास-ससुर बीमार पड़ जाए तो पूरे मन या बेमन से बहु ही देखभाल करती है।

अगर एक दिन के लिये बहु बीमार पड़ जाए या फिर कही चले जाएं,बेचारे सास-ससुर को ऐसा लगता है जैसा उनकी लाठी ही किसी ने छीन ली हो।वे चाय नाश्ता से लेकर खाना के लिये छटपटा जाएंगे।कोई और पूछने वाला उनके पास नही होता ।

क्योंकि बेटे के  पास  समय  नही है,और अगर बेटे को समय मिल जाये भी तो वो कुछ नही कर पायेगा क्योंकि उसे ये मालूम ही नही है कि माँ-बाबूजी को सुबह से रात तक क्या क्या देना है।

क्योंकि बेटे के चंद सवाल है और उसकी ज़िम्मेदारी खत्म...

 जैसे माँ-बाबूजी को खाना खाएं,चाय पियें, नाश्ता किये, लेकिन कभी भी ये जानने की कोशिश नही करते कि वे क्या खाते हैं कैसी चाय पीते हैं।ये लगभग सभी घरों की कहानी है।मैंने तो ऐसी बहुएं देखी है जिसने अपनी सास की बीमारी में तन मन से सेवा करती थी,बिल्कुल एक बच्चे की तरह,

जैसे बच्चे सारे काम बिस्तर पर करते हैं ठीक उसी तरह उसकी सास भी करती थी और बेचारी बहु उसको साफ करती थी।

और ऐसे कई बहु के उदाहरण हैं!

कभी अगर बहु दुनिया से चले जाएं तो बेटा फिर एक बहु ले आता है, क्योंकि वो नही कर पाता अपने माँ-बाप की सेवा,उसे खुद उस बहु नाम की लाठी की ज़रूरत पड़ती है। इसलिये मेरा मानना है कि बहु ही होती हैं बुढ़ापे की असली लाठी ।